भरखरा गाँव का इतिहास
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भरखरा गाँव का इतिहास |
आज से लगभग 250 से 300 साल पहले ये जगह जो आज भरखरा के नाम से जाना जाता है यहाँ पर कुछ मुसलमान, हरिजन और पासवान समुदाय के लोग रहा करते थे ! ये तीनों समुदाय के लोग बहुत गरीब थे, ये लोग खेती और पशुपालन करके अपना जीवन यापन करते थे ! उसी दौरान बाढ़ से परेशान होकर गाज़ीपुर जिले के गहमर गाँव से कुछ ब्राह्मण इस गाँव मे बसने के लिये आये ! उनको ये जगह जीवन व्यतीत करने के लिये बहुत अच्छा लगा तो उन्होने यहाँ पर अपने रहने के लिये इंतजाम किया और धीरे धीरे इसी गाँव में खेती करने लगे ! इसी बिच में वो अपने गाँव गहमर गये और उन्होंने अपने रिश्तेदारों को भी इस गाँव के बारे मे बताया और फिर धीरे धीरे और भी ब्राह्मण परिवार इस गाँव में आ गये ! ब्राह्मण समुदाय के लोग अपना घर एक क्षेत्र में बनाना चाहते थे मगर उस क्षेत्र मे कुछ हरिजन समुदाय के लोगो का घर आ रहा था तो ब्राह्मण समुदाय के लोगो ने हरिजन समुदाय के लोगो को थोड़ी दूर पर अपना जमीन दे दिया ताकि वो सब लोग एक क्षेत्र में अपना घर बना सके ! हरिजन समुदाय के लोगो ने इस बात को मान लिया और वो थोड़ी दूर जाकर एक क्षेत्र में अपना घर बना लिये जिस जगह का नाम बाद में तारनपुर रखा गया ! इस गाँव के मूल निवासी मुसलमान और पासवान समुदाय के लोग इसी गाँव में रह गये ! इसके बाद ब्राह्मण समुदाय के लोगो ने मिलकर हर समुदाय के लोगो को इस गाँव में आने के लिया बढ़ावा दिया ताकि एक समाज का गठन किया जा सके ! इनके जीवन शैली और बातों से प्रभावित होकर और भी समुदाय के लोग इस गाँव में आये और इस तरह से सब घर मिलाकर इन्होंने एक गाँव बनाया जिसका नाम भरखरा रखा गया ! भरखरा का मतलब क्या होता है आज भी ये एक पहेली है !
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